Obstacle shadow at entrance

Obstacles in Vastu | वास्तु में बाधाएं

Ashish Shrungarpure

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Shadow in entrance of vastu

वास्तु में बाधाएं

प्रवेश द्वार के सामने बाधाएं (द्वारवेध)

मुख्य प्रवेश द्वार या परिसर की दीवार के सामने हवा और प्रकाश के लिए जो अवरोध है उसे द्वारवेध कहते हैं। इसका अर्थ यह है कि मुख्य प्रवेश द्वार के सामने कोई अवरोध नहीं होना चाहिए। यदि कोई अवरोध जैसे बिजली का खंभा, टेलीफोन का खंभा, पेड़, पानी की टंकी आदि हो तो उसे द्वारवेध कहते हैं।

यदि भवन की ऊंचाई से दोगुनी दूरी पर अवरोध हो तो उसे द्वारवेध नहीं माना जाता है। उदाहरण के लिए यदि किसी भवन की ऊंचाई २५ फीट है और भवन के मुख्य प्रवेश द्वार से ५० फीट की दूरी पर अवरोध मौजूद है तो उसे द्वारवेध नहीं माना जाता है। हालांकि, यदि अवरोध ४५ फीट की दूरी पर है तो उसे द्वारवेध माना जाता है। द्वारवेध होने पर भवन पर बुरा प्रभाव अवश्य पड़ता है।

१) स्वर्वेध (ध्वनि अवरोध) – दरवाजा खोलने या बंद करने पर चरमराहट की आवाज नहीं होनी चाहिए। अशुभ घटनाओं के होने की आशंका रहती है। इसे स्वर्वेध कहते हैं। दरवाजे के टिका पर तेल लगा दें, ताकि चरमराहट की आवाज न आए।

२) कूपवेध – मुख्य द्वार के सामने कोई सेप्टिक टैंक, भूमिगत भंडारण टैंक, बोरिंग, भूमिगत जल निकासी नहर आदि नहीं होनी चाहिए। इससे धन की हानि होती है और इसे कूपवेध कहते हैं।

३) ब्रह्मवेध – मुख्य द्वार के सामने तेल निकालने वाली मशीन, पीसने की चक्की या धार तेज करने वाली मशीन हो, तो इसे ब्रह्मवेध कहते हैं। ब्रह्मवेध के कारण जीवन अस्थिर हो जाता है और परिवार में कलह होती है।

४) किलवेध – मुख्य द्वार के सामने बकरी, गाय, भैंस या कुत्ते को बांधने के लिए खूंटा हो तो उसे किलवेध कहते हैं। इससे प्रगति में बाधा आती है।

५) स्तम्भ वेध – मुख्य द्वार के सामने कोई खंभा, बिजली का खंभा, डी.पी. खंभा या टेलीफोन का खंभा नहीं होना चाहिए। इसे स्तम्भवेध कहते हैं। इससे परिवार के सदस्यों या व्यापारिक साझेदारों में मतभेद होता है। उनमें झगड़े होते हैं। यह प्रगति के लिए हानिकारक है।

६) वास्तुवेध – मुख्य द्वार के सामने स्टोर रूम, गैरेज, आउट हाउस, चौकीदार का केबिन आदि नहीं होना चाहिए। इसे वास्तुवेध कहते हैं जिससे संपत्ति की हानि होती है।

७) भवन का मुख्य द्वार भवन की लंबाई या चौड़ाई के बिल्कुल बीच में नहीं होना चाहिए। इसे थोड़ा सा एक तरफ होना चाहिए।

८) नल में रिसाव या किसी अन्य कारण से मुख्य प्रवेश द्वार के सामने पानी इकट्ठा नहीं होना चाहिए। यह बच्चों के लिए हानिकारक है।

९) मुख्य प्रवेश द्वार के सामने मिट्टी के पत्थरों या ईंटों का ढेर नहीं होना चाहिए। यह प्रगति में बाधा डालता है।

१०) परिसर के द्वार की ऊँचाई परिसर की दीवार के स्तंभों से अधिक नहीं होनी चाहिए जिस पर द्वार लगा हुआ है। यह परिवार के मुखिया की प्रगति में बाधा डालता है।

११) कोई अन्य संरचना या उसका कोना भवन के मुख्य प्रवेश द्वार की ओर नहीं होना चाहिए।

१२) परिसर के द्वार के बाहर पूर्व, उत्तर-पूर्व या उत्तर दिशा में भस्मक यंत्र नहीं होना चाहिए। इसी प्रकार दक्षिण, दक्षिण-पूर्व या दक्षिण-पश्चिम दिशा में कोई टैंक, गड्ढा या पानी का गंदा तालाब नहीं होना चाहिए। ये चीज़ें परिसर की दीवार के ठीक बाहर बाधाएँ हैं और इन्हें मार्गवेध के नाम से जाना जाता है। परिवार के मुखिया को अपने मार्ग में कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है।

१३) दो घरों का एक ही प्रवेश द्वार नहीं होना चाहिए। क्रोधपूर्ण घटनाएँ घटित होती हैं।

१४) परिसर की दीवार भवन से ऊँची नहीं होनी चाहिए (ऐसा दिखाई नहीं देता)। यह केवल सूचना के लिए लिखा जाता है। इसे भवनवेध कहते हैं। इससे आर्थिक प्रगति रुक ​​जाती है।

१५) किसी भी आवासीय या व्यावसायिक भवन के मुख्य प्रवेश द्वार के सामने जीर्ण-शीर्ण परित्यक्त भवन या किसी पुराने भवन के अवशेष नहीं होने चाहिए। इससे दैनिक हानि होती है और व्यापार बंद होने की संभावना रहती है।

छाया वेध

यदि किसी वृक्ष, मंदिर, पर्वत, ध्वज आदि की छाया किसी भवन पर पड़ती है तो उसे छायावेध कहते हैं। छायावेध मुख्यतः पाँच प्रकार के होते हैं।

१) मंदिर छायावेध – यदि किसी मंदिर की छाया सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच हमारे भवन पर पड़ती है तो उसे मंदिर छायावेध कहते हैं। इससे शांति भंग होती है। व्यापार पर बुरा असर पड़ता है और तरक्की नहीं होती। बच्चों और संतान के विवाह में देरी होती है।

२) ध्वज छायावेध – यदि ध्वज, स्तंभ, स्तूप, समाधि या इन संरचनाओं पर लगे झंडों की छाया हमारे भवन पर पड़ती है तो उसे ध्वज छायावेध कहते हैं। इससे स्वास्थ्य खराब होता है।

३) पर्वत छाया वेध – यदि पूर्व दिशा में किसी पर्वत या पहाड़ी की छाया हमारे भवन पर पड़ती है तो इसे पर्वत छाया वेध कहते हैं। इससे जीवन में बाधाएं आती हैं, नाम खराब होता है। इसलिए भवन के पूर्व दिशा में पर्वत नहीं होना चाहिए।

४) वृक्ष छाया वेध – घर के पास कोई बड़ा पेड़ नहीं होना चाहिए। यदि सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे के बीच किसी वृक्ष की छाया भवन पर पड़ती है तो इसे वृक्ष छाया वेध कहते हैं। इससे प्रगति में बाधा आती है।

५) भवन छाया कूपवेध – यदि भवन की छाया कुएं या बोरिंग पर पड़ती है तो इसे भवन छाया कूपवेध कहते हैं। इससे धन की हानि होती है।

Shadow in entrance of vastu

OBSTACLES IN VASTU

Obstacle in front of the entrance (Dwarvedh)

The obstacles for air and light in front of the main entrance or the compound wall is known as dwarvedh i.e. obstacle in the entrance. The meaning is that there should not be any obstacle in front of the main entrance. If there is any obstacle like electric pole, telephone pole, tree, water tank etc. it is known as Dwarvedh.

If there is an obstacle at a distance of twice the height of the building it is not considered as Dwarvedh, For example if the height of a building is 25 feet and if an obstacle is present at a distance of 50 feet from the main entrance of the building it is not considered as Dwarvedh. However, if it is at a distance of 45 feet it is considered as Dwarvedh, bad effects are definitely observed if there is Dwarvedh to a building.

1) Swar Vedh (Sound obstacle) – There should not be any creaking sound when the door is opened or closed. Inauspicious happenings are expected to happen. This is known as Swar vedh. Oil the hinges so that craking sound will not appear.

2) Kupvedh – There should not be any septic tank, underground storage tank, boring, underground drainage canals etc. in front of the main entrance. This leads to loss of wealth and it is known as Kupvedh.

3) Brahmavedh – If there is an oil expeller, grinding mill or edge sharpener machine in front of the main entrance it is known as Bramhavedh. Life becomes Obstacles in Front of Entrance unstable and there are clashes in the family due to Bramhavedh.

4) Kilvedh – If there is a peg to tie a goat, cow, buffalo or dog in front of the main entrance it is known as Kilvedh. This leads to obstacles in the progress.

5) Stumbh Vedh – There should not be any pole, electric pole, D.P. pole or telephone pole in front of the main entrance. It is known as stumbhbedh. This leads to difference of opinion among the family members or business partners. There are quarrels among them. This is harmful to progress.

6) Vastuvedh – There should not be store room, garage, out house, watchman cabin etc. in front of the main entrance. This is known as Vastuvedh which leads to loss of property.

7) The main entrance of a building should not be exactly at the middle of the length or the breadth of the house. It should be slightly to one side.

8) Water should not collect in front of the main entrance due to leakage in tap or any other reason. This is harmful to the children.

9) There should not be a heap of mud stones or bricks in front of the main entrance. This obstructs the progress.

10) The height of the compound gate should not exceed the compound wall coloums on which gate is fixed. This obstructs the progress of the head of the family.

11) No other structure or its corner should face the main entrance of the building.

12) Outside the compound gate there should not be an incinerator in the East, the North-East or the North direction. Similarly there should not be any tank, pit or slagnant pool of water in South, the South-East or the South-West direction. These things are obstructions just outside the compound wall and are known as Margvedh. The head of the family faces many obstacles in his
way.

13) There should not be a common entrance to two houses. Angry happenings take place.

14) The compound wall should not be higher than the building (It is not seen). It is written only for information. It is known as Bhawanvedh. This stops economic progress.

15) There should not be a delipidated abandoned building or remnants of an old building in front of the main entrance of any residential or commercial building. This results in daily loss and there is a chance of business getting closed.

Obstacle due to a shadow (Chhaya Vedh)

If the shadow of a tree, temple, mountain, flag etc. falls on a building it is known as ‘Chhayavedh’. There are five types of main Chhayavedhs.

1) Temple Chhayavedh If the shadow of any temple falls on our building between 10 A.M.to 3 P.M. it is known as temple chayyavedh. This results in disturbance of peace. Business is badly affected and there is no progress. Delay in marriage of children and Progeny.

2) Dhwaj Chhayavedh – If the shadow of a flag or pillar or stup or samadhi or the flags on these
structures falls on our structure it is known as Dhwaj Chhayavedh. This results in ill health.

3) Parvat Chhaya Vedh If the shadow of a mountain or hill on the east side falls on our building it is called Parvat Chhaya Vedh. This results in obstacles in life, the name is spoiled. Therefore there should not be a mountain on the east side of the building.

4) Vriksha Chhaya Vedh There should not be a large tree near the house. If the shadow of a tree falls on the building between 10 A.M. to 3 P.M. it is called as Vrikshachhaya Vedh. It obstructs progress.

5) Bhawan Chhaya Kupvedh – If the shadow of a building falls on the well or boring it is known as Bhawan Chhaya Kupvedh. This results loss of money.

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