Bath | स्नान Suitable for Kundalini awakening, Meditation, and Sadhana | कुण्डलिनी जागृति, ध्यान एवं साधना के योग्य स्नान

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कुण्डलिनी जागृति, ध्यान एवं साधना के योग्य स्नान

आजकल अधिकतर लोग सुबह जल्दी नहा नहीं पाते और सूरज सर पर चढ़ने के बाद ही नहाते हैं। कई तो दोपहर को सूरज के प्रचंड रूप के आने के बाद ही नहाते हैं। कुछ महान आलसी लोग दोपहर ढल रही हो तब अथवा अब नहाना ही पड़ेगा तो शाम को या रात को नहाते है। अगर हां तो सावधान हो जाएं, क्योंकि आपके नहाने का ये समय आपको भारी पड़ सकता है।


स्नान लोग अपनी सुविधा के अनुसार करते हैं, लेकिन समय के अनुसार किए गए स्नान का अलग-अलग फल मानव को प्राप्त होता है। शास्त्रों में ब्रह्म मुहुर्त के स्नान का बड़ा महत्व बतलाया गया है। मान्यता है कि स्थानिक सूर्योदय के ६० से १२० मिनट के पहले किया गया स्नान सर्वश्रेष्ठ होता है। उदाहरण के लिए मान लीजिए की स्थानिक सूर्योदय सुबह ६ बजे का है। तो सुबह 4 से 5 बजे के बीच का स्नान मुनि स्नान होता है, जिसे सर्वोत्तम माना गया है। इस स्नान को मुनि स्नान कहा गया है, क्योंकि इस समय ऋषि-मुनि स्नान कर ध्यान साधना करते हैं।


स्नान कैसे करे

  1. स्नान करने के लिए सबसे पहले सिर पर पानी डालना चाहिए उसके बाद पूरे शरीर पर। ऐसा करने से शरीर की गर्मी पैरों के जरिए निकल जाती है।

  2. स्नान के समय मुंह में पानी भरकर आंखों को एक पानी से भरे हुए टब में बगैर पलक झपकाएं डूबो कर रखें| ऐसा करने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।

  3. स्वच्छ और ताजे पानी से स्नान करने से शारीरिक शक्तियों के विकास के साथ आत्मिक बल की प्राप्ति होती है।

  4. सूर्योदय के पूर्व किए गए स्नान से देवी लक्ष्मी की कृपा मिलने के साथ त्वचा में निखार आने के साथ बुद्धि का तेज प्राप्त होता है।


स्नान के प्रकार

1. मन्त्र स्नान

अथर्ववेद में वर्णित ‘आपो हिष्ठा’ इत्यादि मन्त्रों से मार्जन करना।

आपो हि ष्ठा मयोभुवस्ता न ऊर्जे दधातन। महे रणाथ​ चक्षसे॥१॥
अर्थ​-
हे जल, आपकी उपस्थिति के कारण, वातावरण बहुत ताज़ा है, और हमें जोश और शक्ति प्रदान करता है।
हम आपका आदर करते हैं जो आपके शुद्ध सार से हमें प्रसन्न करते हैं।

यो वः शिवतमो रसस्तस्य भाजयतेह नः। उषतीरिव मातरः॥२॥
अर्थ​-
हे जल, तुम्हारा यह शुभ रस, कृपया हमारे साथ साझा करें।
एक माँ की तरह जो (अपने बच्चों के साथ अपनी सर्वोत्तम संपत्ति साझा करने की) इच्छा रखती है।

तस्मा अरं गमाम वो यस्य क्षयाय जिन्वथ। आपो जनयथा च न:॥३॥
अर्थ​-
हे जल, जब तुम्हारा स्फूर्तिदायक सार कमजोरी से प्रभावित व्यक्ति के पास जाता है, तो वह उसे जीवंत कर देता है।
हे जल, तुम हमारे जीवन का स्रोत हो।

शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवन्तु नः॥४॥
अर्थ​-
हे जल, जब हम (जल) पीते हैं तो जिस शुभ दिव्यता की कामना की जाती है वह आपमें मौजूद रहे।
जो शुभता है वह हममें प्रवाहित हो।

ईशाना वार्याणां क्षयन्तीश्चर्षणीनाम्। अपो याचामि भेषजम्॥५॥
अर्थ​-
हे जल, जल की दिव्यता कृषि भूमि में निवास करे।
हे जल, मैं तुमसे (फसलों को) पोषण देने की विनती करता हूँ।

अप्सु मे सोमो अब्रवीदन्तर्विश्वानि भेषजा। अग्नि च विश्वशंभुवम्॥६॥
अर्थ​-
हे जल, सोमा ने मुझे बताया कि जल में विश्व की सभी औषधीय जड़ी-बूटियाँ मौजूद हैं।
और अग्नि भी जो विश्व में शुभता लाती है।

आपः पृणीत भेषजं वरूथं तन्वेऽ मम। ज्योक्च सूर्यं दृशे॥७॥
अर्थ​-
हे जल, तू औषधीय जड़ी-बूटियों से भरपूर है; कृपया मेरे शरीर की रक्षा करें।
जिससे मैं लंबे समय तक सूर्य को देख सकूं (अर्थात मेरी आयु लंबी हो)।

इदमापः प्र वहत यत्किं च दुरितं मयि। यद्वाहमभिदुद्रोह यद्वा शेप उतानृतम्॥८॥
अर्थ​-
हे जल, कृपया मुझमें जो भी दुष्ट प्रवृत्ति है उसे धो डालो।
और मुझे भीतर से जलाने वाले विश्वासघातों और मेरे मन में मौजूद किसी भी झूठ को भी धो डालो।

आपो अद्यान्वचारिषं रसेन समगस्महि। पयस्वानग्न आ गहि तं मा सं सृज वर्चसा॥९॥
अर्थ​-
हे जल, आज मैं तेरे पास आया हूँ जो उत्तम रस से व्याप्त है।
मैं आपमें गहराई से प्रवेश करता हूं (अर्थात स्नान करता हूं) जो अग्नि (अग्नि तत्व) से व्याप्त है; वह अग्नि मुझमें तेज उत्पन्न करे।


2. अग्नि स्नान अथवा भस्म स्नान

अग्नि की राख पूरे शरीर में लगाना भस्म स्नान कहा जाता है।


3. भौम स्नान

पूरे शरीर में मिटटी लगाने को भौम स्नान कहते है।


4. वायव्य स्नान

गाय के खुर की धूलि लगाने को वायव्य स्नान कहते है।


5. मानसिक स्नान

आत्म चिन्तन करना एंव निम्न मन्त्र को पढ़कर अपने शरीर पर जल छिड़कने को मानसिक स्नान कहते है।

”ॐ अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थां गतोऽपि वा।
य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि:॥
अतिनीलघनश्यामम् नलिनायतलोचनम्।
स्मरामि पुण्डरीकाक्षं तेन स्नातो भवाम्यहम्॥
ॐ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु।
ॐ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु।
ॐ पुण्डरीकाक्ष: पुनातु॥


6. वरूण स्नान

जल में डुबकी लगाकर स्नान करने को वरूण स्नान कहते है।


7. दिव्य स्नान

सूर्य की किरणों में वर्षा के जल से स्नान करना दिव्य स्नान कहलाता है।

जो लोग स्नान करने में असमर्थ है, उन्हे सिर के नीचे से ही स्नान कर लेना चाहिए अथवा गीले वस्त्र से शरीर को पोंछ लेना भी एक प्रकार का स्नान कहा गया है।


स्नान के समय और उसके साथ जुड़ी ऊर्जा

धर्मशास्त्र में स्नान के समय और उसके साथ जुड़ी ऊर्जा के बारे में बताया गया है, जिसे घर की शांति और सुख समृद्घि से लेकर आपकी आर्थिक तंगी से जोड़ा गया है। उदाहरण के लिए मान लीजिए की स्थानिक सूर्योदय सुबह ६ बजे का है।


1. मुनि स्नान

सुबह 4 से 5 बजे के बीच का स्नान मुनि स्नान होता है, जिसे सर्वोत्तम माना गया है। इस समय ऋषि-मुनि स्नान कर साधना करते हैं। कहा जाता है कि मुनि स्नान करने से घर में सुख शांति, समृद्घि, बल और चेतना आदि आती है। जो शास्त्रों के अनुसार उत्तम है।


2. देव स्नान

सुबह 5 से 6 के बीच नहाने से जीवन में यश, कीर्ति, धन, वैभव और संतोष की प्राप्ति होती है। इसे देव स्नान मानते हैं।


3. मानव स्नान

सुबह 6 से 8 बजे के बीच किया जाता है। मानव स्नान को समान्य माना गया है। जो व्यक्ति इस समय स्नान करता है उसे काम में सफलता मिलती है।


4. राक्षसी स्नान

अंतिम स्नान राक्षसी स्नान होता है, जो आमतौर पर होने लगा है। सुबह 8 बजे के बाद किया गया स्नान इस श्रेणी में आता है। इस स्नान को धर्म में निषेध माना गया है। इस स्नान को करने से घर में गरीबी, हानि, कलेश और धन की हानि होती है।


दैनिक और नियमित स्नान के लाभ

प्रातः काल उठकर सबसे पहले हम शौच आदि से निवृत होकर स्नान करते है फिर अपने इष्टदेव की आराधना करते है और उसके बाद अपनी जीविकापार्जन के लिए कर्म करते है। आत्मा को स्वच्छ व सुन्दर बनाने के लिए आत्म चिन्तन करना चाहिए तो तन को स्वस्थ्य एंव आकर्षक बनाने के लिए स्नान करना जरूरी है। नौं छिद्रों वाले अत्यन्त मलिन शरीर से दिन-रात मल निकलता रहता है, अतः प्रातःकाल स्नान करने से शरीर की शुद्धि होती है। रूप, तेज, बल, पवित्रता, आरोग्य, निर्लोभता, दुःस्वप्न का नाश, तप और मेघा- ये दस गुण प्रातःकाल स्नान करने वाले मनुष्यों को प्राप्त होते है।

Bath suitable for Kundalini awakening, Meditation, and Sadhana

Nowadays, most of the people are not able to take bath early in the morning and they take bath only after the sun rises. Many people take bath only after the sun appears in full force in the afternoon. Some very lazy people take bath in the evening or at night when the afternoon is waning or late evening when they have to take bath before sleeping to feel clean. Be careful, because the time of your bathing can cost you heavily.

People take bath as per their convenience, but a person gets different results from the bath taken according to the time. The great importance of bathing in Brahma Muhurta has been mentioned in the scriptures. It is believed that a bath taken between 60 to 120 minutes before local sunrise is best. For example, suppose the local sunrise is at 6 am. So the bath between 4 to 5 in the morning is called Muni Snan, which is considered the best. This bath is called Muni Snan, because at this time the sages when they take bath and perform their meditation sadhana.


How to bathe

  1. To take bath, water should be poured first on the head and then on the entire body. By doing this, body heat escapes through the feet.

  2. While bathing, fill your mouth with water and keep your eyes immersed in a tub filled with water without blinking. By doing this eyesight improves.

  3. Bathing with clean and fresh water helps in developing physical powers and also gives spiritual strength.

  4. Bathing before sunrise not only brings blessings of Goddess Lakshmi but also improves the skin and sharpens the intellect.


Types of Bath

1. Mantra Snan

To cleanse with mantras like ‘Apo Histha’ etc. mentioned in Atharvaveda.

aapo hi sstthaa mayo-bhuvasthaa na urje dadhaatana|
mahe rannaatha chakshase||1||
Meaning-
O Water, because of your presence, the Atmosphere is so refreshing, and imparts us with vigour and strength.
We revere you who gladdens us by your Pure essence.

Yo Vah Shivatamo Rasas-Tasya Bhaajayate-Ha Nah|
Ushatiiriva Maatarah||2||
Meaning-
O Water, this auspicious Sap of yours, please share with us.
Like a Mother desiring (to share her best possession with her children).

Tasmaa Aram Gamaama Vo Yasya Kssayaaya Jinvatha|
Aapo Janayathaa Ca Nah||3||
Meaning-
O Water, when your invigorating essence goes to one affected by weakness, it enlivens him.
O Water, you are the source of our lives.

Sham No Deviir-Abhissttaya Aapo Bhavantu Piitaye|
Sham Yor-Abhi Sravantu Nah||4||
Meaning-
O Water, may the auspicious divinity which is wished for be present in you when we drink (water).
May that auspiciousness which is there flow in us.

ishaanaa vaaryaannaam kssayantiish-charshanniinaam|
apo yaachaami bheshajam||5||
Meaning-
O Water, may the divinity in Water dwell in the Farm lands.
O Water, I implore you to give nutrition (to the crops).

apsu me somo abraviid-antar-vishvaani bhessajaa|
agni cha vishva-shambhuvam||6||
Meaning-
O Water, Soma told me that in Water is present all Medicinal Herbs of the World.
And also Agni (Fire) who brings auspiciousness to the World.

Aapah Prnniita Bhessajam Varuutham Tanve Mama|
Jyokca Suuryam Drshe||7||
Meaning-
O Water, you are abundantly filled with Medicinal Herbs; Please protect my body.
So that I can see the Sun for long (i.e. I live long).

Idam-Aapah Pra Vahata Yat-Kim Ca Duritam Mayi|
Yad-Vaaham-Abhidu-Droha Yadvaa Shepa Uta-[A]anrtam||8||
Meaning-
O Water, please wash away whatever wicked tendencies are in me.
And also wash away the treacheries burning me from within, and any falsehood present in my Mind.

Aapo Adya-Anv[nnu]-Acaarissam Rasena Sam-Agasmahi|
Payasvaan-Agna Aa Gahi Tam Maa Sam Srja Varcasaa||9||
Meaning-
O Water, today, to you who is pervaded by fine Rasa (Invigorating Sap) I came.
I deeply enter (i.e. bathe) in you who is pervaded by Agni (Fire Principle); May that Agni produce lustre in me.


2. Agni Snan or Bhasma Snan

Applying fire ashes all over the body is called bhasma bath.


3. Bhaum Snan

Applying mud on the entire body is called Bhaum Snan.


4. Vayavya Snan

Applying cow’s hoof dust is called Vayavya Snan.


5. Mental bath

Self-contemplation that is thinking about yourself and sprinkling water on your body by reciting the following mantra is called mental bath.

aum apavitrah pavitro vA sarvA-avasthAm gato-api vA||
yah smaret-puNdarikAksham sa bAhyA-abhyantarah shuchih||
AtineelaghanashyAmam nalinAyatalochanam|
SmarAmi puNdarikAksham tena snAto bhavAmyaham||
aum puNdarikAkshah punatu|
aum puNdarikAkshah punatu|
aum puNdarikAkshah punatu||


6. Varun Snan

Taking bath by taking a dip in water is called Varun Snan.


7. Divine bath

Bathing with rain water in the rays of the sun is called divine bath.

Those who are unable to take bath, they should take bath from the head down or wiping the body with a wet cloth is also said to be a type of bath.

 

Bath time and energy associated with it


The religious scriptures talk about the time of bathing and the energy associated with it, which has been linked to everything from home peace and happiness to prosperity to your financial constraints. For example, suppose the local sunrise is 6 am.


Muni Snan

The bath between 4 to 5 in the morning is Muni Snan, which is considered the best. At this time, sages take bath, meditate and perform sadhana. It is said that taking bath during this time brings happiness, peace, prosperity, strength and consciousness etc. in the house. This is the best bath according to the scriptures.


Devata Snan

Taking bath between 5 to 6 in the morning brings fame, glory, wealth and satisfaction in life. It is considered a devata snan i.e. bath performed by the deities.


Manav Snan

anav snan is the third type of bath, which is done between 6 to 8 in the morning. Manav meaning human. This bathing is considered normal. The person who takes bath at this time gets slow and steady success in what he performs.


Rakshasi Snan

Rakshas meaning demon. The last bath is the demon bath, which has started happening commonly. Bathing taken after 8 am falls in this category. This bath is considered prohibited in religion. Taking this bath brings poverty, loss, distress and loss of wealth in the house.


Benefits of daily and regular bathing of Muni Snan

After waking up in the morning, the first thing we do is to take bath after defecation etc., then we worship your Isht Devata and after that do your work to earn your living. To make the soul clean and beautiful, one should think about oneself and to make the body healthy and attractive, it is necessary to take bath. Waste keeps coming out day and night from the nine pores of our body. Hence, taking bath in the morning purifies the body. Beauty, brightness, strength, purity, health, greedlessness, destruction of nightmares, penance and prosperity – these ten qualities are attained by people who take bath in the morning.

Kundalini Awakening or Chakra Energy to achieve material pleasure and spiritual bliss.

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