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कहेते है कि कर्म करो तो उसका फल मिलता ही है। ये एक वाक्य में कई छुपे हुए तथ्य है जिनको शायद बिना सोचे और समजे कर्म के फल का कथन किया जाता है। जिसके परिणाम रुप कई लोगो का कर्म से ही भरोसा उठ जाता है।

जैसे सूर्योदय के समय सूर्य के दर्शन की प्राप्ति पूर्व क्षितीज पर ही होती है। वैसे ही हर इन्सान के कुंडली में धन प्राप्ति और भाग्योदय की एक दिशा और समय निश्चित रेहती है।

जिस तरह शाम के समय पूर्व क्षितीज पर सूरज के दर्शन की अभिलाषा व्यर्थ है, उसी तरह गलत समय और दिशा में धन प्राप्ति या भाग्योदय के लिये प्रयत्न व्यर्थ है। और परिणाम स्वरुप मिलती है सिर्फ़ निराशा।

ज्योतिष शास्त्र में धन प्राप्ति के कई नियम है। अगर उनको ध्यान से पढा जाय तो व्यक्तिगत या व्यापार क्षेत्र में

– कहां से कब धन प्राप्ति के योग बन रहे है ये जान सक्ते है।
– कौन से व्यवसाय या किस प्रकार की नौकरी से धन प्राप्ति और संचय हो सक्ते है।
– धन क्षेत्र में भाग्योदय के योग, समय, दिशा और उर्जा को जान सक्ते है।

जैसे व्यापार में संपत्ति, देनदारियों और व्यवसाय की पूंजी, आय और व्यय जैसे कई अंग मिलाकर एक Balance Sheet बनती है। और उस balance sheet को सही मायनें में पढने के लिये वित्तीय विशेषज्ञ यानी Financial Expert की सलाह ली जाती है, उसी तरह किसी भी कुंडली में व्यक्तिगत या व्यवसायिक धन प्राप्ति या भाग्योदय से जुडे नियमो के मूल्यांकन के लिये ज्योतिष शास्त्र विशेषज्ञ (astrologer) सलाह ली जाती है।

यहां हम धन प्राप्ति के कई नियमो में से एक आसान सा नियम दिखा रहे है –

इसके फल का कथन है की – एकादश भाव का स्वामी जिस दिशा का स्वामी हो, उसी दिशा से धन – लाभ होता है । इसका दुसरा अर्थ ये है की जिस दिशा में अर्थ – लाभ के योग हो, उस दिशा में प्रयत्न करने से शीघ्र और असाधारण धन – लाभ
हो सक्ता है ।

बृहद्जातक​ में कहां है –

प्रागाद्या रवि शुक्र लोहिततय​: शोरिन्दु वित्सूरय​: ॥

अर्थात –

जिस जातक की कुंडली में ग्यारवे भाव का स्वामी –

सूर्य हो तो उस जातक को पूर्व दिशा से धन – प्राप्ति हो सक्ती है ।
शुक्र हो तो – अग्नि कोण से
मंगल हो तो – दक्षिण दिशा से
राहु हो तो – नैरॄत्य कोण से
शनि हो तो – पश्चिम दिशा से
चंद्र हो तो – वायव्य कोण से
बुध हो तो – उत्तर दिशा से
और​
बृहस्पति हो तो – ईशान्य कोण से धन – लाभ होता है ।

इन नियम के साथ कुछ और नियम एवम गणितीय गणना जोडे तो यथार्थ जान सक्ते है कि धन – प्राप्ति के लिये कब, कौनसे एवम् कैसे कर्म किये जाये ।

यहीं व्यापार के क्षेत्र में भी लागू होता है ।

धन – प्राप्ति योग जान ने के लिये अपनी व्यक्तिगत और व्यापार की कुंडली का विश्लेषण समजने के लिये हमें संपर्क करें ।

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